नर्मदा नदी किनारे प्रसिद्ध कोटेश्वर तीर्थ स्थल के आसपास 1 किलो मीटर दूर ग्राम निसरपुर से मांस मदिरा दुकानें बंद होगी क्या…..?

मुख्यमंत्री डॉ यादव जो कहते है वह करते नजर आयेगा क्या….?
संघर्ष से सिद्धि की मेरी नजर

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार 14 सितंबर, 2024 को अधिकारियों को राज्य भर में नर्मदा नदी के किनारे सभी धार्मिक शहरों में शराब और मांस की दुकानें बंद करने और इनके सेवन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था।
यह निर्णय शुक्रवार को नदी की स्वच्छता और इसके प्रवाह को बरकरार रखने के लिए विकास कार्य योजना की देखरेख के लिए गठित कैबिनेट समिति की बैठक में लिया गया। श्री यादव ने बैठक की अध्यक्षता की थी
मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी को हिंदुओं द्वारा एक पवित्र नदी माना जाता है । धार जिले के अंतर्गत ग्राम निसरपुर आता है यह डूब क्षेत्र में जाने के बाद पास ही ऊंचाई वाले स्थल पर विस्थापित कर बसाया गया है इससे महज 1 किलो मीटर से भी कम दूरी पर प्रसिद्ध कोटेश्वर धार्मिक स्थल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह भी कहा था:-
“मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार के सभी विभाग समन्वित तरीके से काम करेंगे और माँ नर्मदा के स्वरूप और पवित्रता को बनाए रखेंगे। हमारा प्रयास धार्मिक नगरों के आसपास मांस और मदिरा पर प्रतिबंध लगाने का होगा। निर्देशों के संदर्भ में की गई कार्रवाई की नवंबर में फिर समीक्षा की जाएगी ”
उन्होंने कहा कि नदी की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने दिन में पहले एक वीडियो संदेश में कहा, “यह एक दिन की प्रक्रिया नहीं है; यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।”
श्री यादव ने कहा, “भविष्य में किसी भी बस्ती के लिए नर्मदा नदी के उद्गम से दूर भूमि की पहचान की जानी चाहिए और वहां सैटेलाइट शहर विकसित किए जाने चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अमरकंटक से लेकर राज्य की सीमा तक किसी भी बस्ती का सीवेज नर्मदा नदी में न मिले। इसके लिए समयबद्ध तरीके से काम किया जाना चाहिए।”
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी और ड्रोन के माध्यम से नर्मदा के आसपास की गतिविधियों की निगरानी करें।

श्री यादव ने नदी में मशीनों के इस्तेमाल से खनन गतिविधियों पर रोक लगाने का भी आदेश दिया। उन्होंने नदी के किनारे स्थित स्थानों पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने नदी के दोनों ओर 5 किलोमीटर तक के क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की भी वकालत की।
कैबिनेट कमेटी को यह भी बताया गया कि नर्मदा नदी के किनारे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1,138 गांव और 1,126 घाट हैं, साथ ही भगवान शिव के 430 प्राचीन मंदिर और दो शक्तिपीठ भी हैं। इसकी कुल लंबाई 1,312 किलोमीटर है, जिसमें से 1,079 किलोमीटर मध्य प्रदेश में है।
उन्होंने कहा कि नर्मदा विश्व की एकमात्र नदी है, जिसके चारों ओर श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं । उन्होंने अधिकारियों से नर्मदा परिक्रमा को एक प्रमुख तीर्थयात्रा और पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित करने तथा इसके मार्ग को भी तदनुसार विकसित करने को कहा।

उन्होंने कहा, ” परिक्रमा मार्ग पर स्थानों को चिन्हित करके स्थानीय पंचायतों और समितियों के माध्यम से बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में गतिविधियां शुरू की जानी चाहिए । इसके साथ ही, स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय युवाओं को होमस्टे विकसित करने और परिक्रमा यात्रा पर जाने वालों के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ”
बड़वानी जिले के राजघाट ओर कोटेश्वर तीर्थ के पास पूरे नर्मदा तटों पर साधु संत अपने आश्रमों में रहते हैं और भागवत नाम लेते हैं लेकिन शराबी तत्वों के द्वारा आए दिन शराब पीकर वाहन पर जाकर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। उन्हें हैरान परेशान किया जाता है साधु संत अपनी आवाज शासन प्रशासन तक पहुंचा रहा है कि उनकी सुरक्षा भी की जाए और ग्राम निसरपुर जो कि कोटेश्वर से महज 1 किलो मीटर से भी कम दूरी पर है वहा संचालित शराब दुकान ओर गांव में चल रही मांस की दुकानों को भी बंद कराया जाए

आपको बतादे की
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शनिवार (14 सितंबर, 2024) को अधिकारियों को राज्य भर में नर्मदा नदी के किनारे सभी धार्मिक शहरों में शराब और मांस की दुकानें बंद करने और इनके सेवन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया
हमारे प्रतिनिधि ने नर्मदा किनारे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कोटेश्वर और राजघाट आश्रम में रह रहे साधु संत से चर्चा की तो उन्होंने भी ग्राम निसरपुर की शराब दुकान ओर मांस की दुकानों बंद कराने की बात कही।
आपको हम नर्मदा नदी पर बसे कोटेश्वर तीर्थ की जानकारी दे रहे
बड़वानी अलीराजपुर धार और झाबुआ चारों जिलों का हिंदू समाज अंतिम संस्कार ,अर्पण तर्पण और स्नान के लिए कोटेश्वर धाम पर आता है यहां पर दशा का कार्यक्रम हो या मुंडन का या अंतिम संस्कार हो आदि कर्मकाण्ड के लिए यह एक ही स्थान है।
सरदार सरोवर बांध से पुराने कोटेश्वर डूब क्षेत्र में आने से कोटेश्वर ओर निसरपुर को पास में ही व्यवस्थापित किया गया है। नए निसरपुर ग्राम में शासन की ओर से नया घाट (नए पुल के पास में) स्वीकृत हो चुका है और पुराने कोटेश्वर से कई मंदिर निसरपुर में शिफ्ट हो चुके हैं उनका भी जीर्णोद्धार किया जा चुका है ।
लाखों लोगों की आस्था का केंद्र, रामायण और महाभारत कालीन यह दिव्य स्थान, जहां पर रावण और मेघनाथ ने आकर तपस्या की है, यह क्षेत्र संतो की तप स्थली है वालिपुर के श्री श्री १००८ गजानंद जी महाराज, कोटेश्वर के श्री श्री१००८ कमल दास जी महाराज, धरम राय के श्री श्री १००८ बाल ब्रह्मचारी ईश्वर दत्त जी महाराज, खेड़ा के श्री श्री 1008 हरिहर फलाहारी बाबा जिन्होंने अपने शरीर छोड़ने के पहले ही भक्तों को दो माह पहले बता दिया था कि रामनवमी के दिन इस शरीर का में त्याग कर दूंगा अतः इनकी समाधि खेड़ा में स शरीर बना दी गई ऐसे महान तपस्वी संतों का यह प्राचीनतम स्थल मां नर्मदा के किनारे बसा हुआ था।
कोटेश्वर तीर्थ की महिमा वेदों नर्मदा पुराणों और संतों के द्वारा हमेशा से बताई जा रही है कोटेश्वर तीर्थ डूब क्षेत्र में आने के कारण उसकी बसावट निसरपुर ग्राम में शासन के द्वारा की गई है।
कोटेश्वर तीर्थ के अनेक मंदिर की मूर्तियों को वहां से ला करके नसीरपुर ग्राम में स्थापित किया गया है और उन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया है कोटेश्वर तीर्थ में कमल दास जी महाराज की समाधि स्थल, गौशाला, आश्रम को भी नई निसरपुर में पुनः स्थापित किया गया है। आश्रम के पीछे ही भाव तट स्थल बनाने के लिए शासन के द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो गई है। भक्तों के लिए यहां पर बहुत जल्दी ही स्नान और कर्मकांड के लिए निसरपुर में नर्मदा के किनारे जीर्णोद्धार शासन के द्वारा किया जा रहा है ।
यह संतों की भूमि है, यह कहीं दिव्या संतों की तपस्यास्थली है। यहां अनेक संतों ने धर्म को बचाने के लिए, धर्म की स्थापना के लिए, हमेशा अपना पूरा जीवन अर्पण किया है और आज भी अनेक संत यहां पर बालीपुर के योगेश जी महाराज, सुधाकर जी महाराज और कोटेश्वर के कमल दास जी महाराज के कृपा पात्र अयोध्या दास जी महाराज निरंतर गौ सेवा, संत सेवा, और दीन दुखियों का दुख करने के लिए संत वचन और अपनी कृपा दृष्टि से पूरे क्षेत्र का उद्धार कर रहे हैं निवासरत है।

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब नर्मदा परिक्रमा पर आए थे तब कोटेश्वर वाले गुरुदेव अयोध्या दास जी महाराज को वचन दिया था और वादा भी किया था और सभी भक्तों के सामने कहा था की निसरपुर पर नर्मदा के तट से मास मदिरा की दुकान नर्मदा तट से 5 किलोमीटर दूर तक नहीं रहेगी ,अभी वर्तमान में नर्मदा से मात्र 1 किलोमीटर दूर नर्मदा का घाट निसरपुर में ही शासन के द्वारा स्वीकृत कर दिया गया है और सारे मंदिर भी यहां बना दिए गए हैं,वही पुराने कोटेश्वर से सारे आश्रम भी यहां पर स्थापित किया जा रहे हैं और कुछ हो भी गए हैं सारे कार्य प्रगति पर है। अतः यह शराब दुकान इस श्रेत्र से हमेशा के लिए हटाना चाहिए,नसीरपुर नर्मदा का तट भी शराब और मास के विक्रय से मुक्त होना चाहिए।

अतः हमारा यह प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव से ओर शासन प्रशासन के संज्ञान में पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान का साधु संतों से किया वादा याद दिलाते हुए नर्मदा से एक किलोमीटर से कम दूरी पर नई नसीरपुर ग्राम में अनेक मंदिरों, धर्मस्थल, अनेक संतों की तप स्थली ,आश्रम, नर्मदा का किनारा ,होने के कारण और शासन के द्वारा यहां पर लाखों रुपए खर्च कर नर्मदा का घाट नए पुल के पास में बनाने के कारण और नर्मदा परिक्रमा वासियों का यहां पर निरंतर आने रहने और ठहरने के कारण यह पवित्र और धार्मिक तीर्थ स्थल की गिनती में आता है और सरकार के रिकॉर्ड में भी दर्ज है इसको भी प्रदेश की 17 दुकानों जो धार्मिक स्थल होने पर प्रचलित थी को वर्ष 2025- 26 से प्रदेश के मुखिया ने शराब से मुक्त कर नई शराब नीति में भी शामिल किया और गजट प्रकाशित किया है उसमें नर्मदा नदी के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कोटेश्वर के नजदीक होने से ग्राम निसरपुर की भी शराब दुकान के साथ ही मांस दुकानों को प्रतिबंधित किया जाकर लाखो श्रद्धालुओं की जन भावना ओर नर्मदा नदी किनारे कोटेश्वर तीर्थ स्थल पर विराजित साधु संतों की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए ओर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के किए गए वादे को पूरा करने के लिए उचित कदम उठाते हुए ग्राम निसरपुर की शराब ओर मांस की दुकानो को हटाने का आदेश प्रसारित कर सनातन धर्म के हितों की रक्षा करे।

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Author: jtvbharat