उत्तर प्रदेश के बदायूं में अपने अबोध बच्चे को बेचने वाली महिला ने उसे वापस लेने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि बच्चा दे दिया था, लेकिन रुपये दलाल खा गए। उसे अब बच्चा नहीं, पैसा चाहिए। थाना फैजगंज बेहटा के एक गांव निवासी दंपती ने अपने बच्चे को देकर एक लाख रुपये ले लिये थे, लेकिन उसकी बाकी रकम दलाल खा गए। इस पर महिला ने बेटे के अपहरण की तहरीर दी थी। पुलिस ने जांच की तो मामला बच्चे के सौदे का निकला। पुलिस ने दलालों को पकड़ लिया था।
इस मामले की छानबीन के दौरान कई और बातें सामने आईं हैं। एसओ सिद्धांत शर्मा के मुताबिक शनिवार को उन्हें बताया गया था कि 26 जनवरी को महिला की आसफपुर स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी हुई थी। उसके दूसरे दिन बच्चा बेच दिया गया था लेकिन जब इसकी छानबीन की गई तो पता चला कि 19 जनवरी को महिला की डिलीवरी हुई थी। उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र के अभिलेखों से मिलान कराया तो सच्चाई सामने आई।
ढाई लाख रुपये में खरीदा था बच्चा
बच्चे को 26 जनवरी के दिन बेच दिया गया था। यह बच्चा मेरठ के दौराला थाना क्षेत्र निवासी प्रमोद ने ढाई लाख रुपये में खरीदा था, लेकिन दलालों ने उनका पता मुरादाबाद बताया था। रुपये भी नकद दिए गए थे। दलाल बीच में डेढ़ लाख रुपये खा गए। रविवार शाम पुलिस टीम बालक को लेकर थाने पहुंची। यहां प्रमोद ने बताया कि उसने बच्चा गोद लिया था। एक स्टांप पेपर पर भी दंपती ने लिखकर दिया था। इससे वह बच्चा लेकर चले गए।
महिला के पांच बच्चे पहले से हैं
दंपती ने अपने बच्चे को देकर एक लाख रुपये ले लिये थे, लेकिन उसकी बाकी रकम दलाल खा गए। रुपये मिलने के बाद दंपती ने एक नई साइकिल, मोबाइल और साड़ियां खरीदीं। घर के लिए अनाज, दाल, तेल भी खरीदा था। बच्चा मिलने के बावजूद उसने लेने से इनकार कर दिया। हालांकि महिला का कहना है कि उसके पांच बच्चे पहले से हैं। ऐसे में वह उसका पालन-पोषण नहीं कर सकती।
मेरठ के दंपती का कोरोना में खत्म हो गया था बेटा
मेरठ के जिस दंपती ने ढाई लाख रुपये देकर नवजात को खरीदा था। उनके दो बेटियां और एक बेटा था। सात मई 2021 को उसके 23 वर्षीय बेटे की कोरोना में मौत हो गई थी। प्रमोद ने बताया कि बेटे की मौत से उसका परिवार टूट गया था। इससे वह एक बच्चा गोद लेने का सोच रहे थे। उन्होंने कुछ लोगों से इसके बारे में कहा था। इसी दौरान नहडौली के दंपती का पता चला। उनसे बात हुई तो वह स्टांप पेपर पर लिखकर बच्चा ले गए।