दशलक्षण पर्व के समापन पर देवेन्द्रनगर में रजत रथ में निकली भगवान जिनेंद्र की शोभायात्रा बड़ी संख्या में सम्मलित हुए जैन श्रद्धालु,जगह जगह बनाई गई रंगोली

देवेन्द्रनगर,विवेक खरे:- दिगम्बर जैन मंदिर देवेन्द्रनगर में जैन धर्मावलंबियों द्वारा दशलक्षण पर्व पर्युषण पर्व उत्साह के साथ धर्म,व्रत एवं संयम के आचरणों का पालन करते हुए मनाया गया। चतुर्थी से अंनत चतुर्थी तक पर्युषण पर्व के अंतर्गत महामस्तकाभिषेक,शांतिधारा, पूजा अर्चना,भजन कीर्तन,संगीत तथा अन्य कार्यक्रम प्रतिदिन चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में सम्पन्न हुए। वही भैयाजी द्वारा दस दिनों तक लगातार दशलक्षण धर्मों का महत्व इन्हें पालन करने की विधि अपने मर्मस्पर्शी प्रवचनों से बतायी। इस दौरान जैन श्रद्धालु श्रद्धा से सराबोर होकर भक्ति रस में गोता लगाते रहे।अंनत चतुर्दशी को समाज द्वारा शानदार धार्मिक भजनों की प्रस्तुति दी। पर्युषण पर्व की समाप्ति के बाद शुक्रवार को क्षमावाणी कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें समाज के सभी लोग आपस में गले मिले व एक दूसरे से उत्तम क्षमा की। तथा प्रभु से व्रत के दौरान गलतियों को क्षमा कर देने की प्रार्थना की गई।क्षमावाणी कार्यक्रम के साथ शुक्रवार को ही भगवान श्रीजी जिनेन्द्र प्रभू की शोभायात्रा स्थानीय दिगम्बर जैन मंदिर से देवेन्द्रनगर कस्बे में निकाली गई। शोभायात्रा में रजत रथ पर विराजमान भगवान श्रीजी जिनेन्द्र प्रभू का जगह जगह पूजा अर्चना कर मंगल आरती उतारी गई।शोभायात्रा में केसरिया ध्वज पताका,उदघोष बैंड,उसके बाद भगवान आदिनाथ का विमान और उसके पीछे पीछे महिलाएँ प्रभु की भक्ति में उत्साहित होकर भजन कीर्तन कर रही थी। तथा भगवान महावीर स्वामी सहित तीर्थंकर देवोँ की जयघोष किया। वहीं युवा एवं युवतियां भी नगाड़ो की धुनों पर नृत्य कर उत्साह से प्रभु की भक्ति में लीन थी। शोभायात्रा के नगर भ्रमण पश्चात वापस जैन मंदिर पहुंचने पर प्रसाद वितरित किया गया।इस तरह से आत्मशुद्धि का यह दशलक्षण पर्व का समापन हो गया। ईस दौरान जैन श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने प्रतिष्ठान बंद करके शोभायात्रा में सम्मलित हुए। जैन श्रद्धालुओं द्वारा अपने घर के सामने रंगोली व कलश सजा कर जिनेन्द्र प्रभु की आगवानी की।शोभायात्रा में समाज के सैंकड़ों की संख्या में महिला पुरुष सहित बच्चे शामिल रहे। देवेंद्रनगर थाना प्रभारी एस आई रतिराम प्रजापति व मातहत स्टाफ उपस्थित रहा।

jtvbharat
Author: jtvbharat