



आदित्य सीमेंट के सीएसआर का फायदा नहीं मिल रहा ग्रामीण क्षेत्रो को,
ना स्थानीय को रोजगार, ना उचित मुआवजा, ग्रामीणों मे रोष।
ओम जैन शम्भूपुरा। चित्तौड़गढ़ जिला वैसे तो औद्योगिक नगरी और सीमेंट हब हैं कहीं बड़े-बड़े सीमेंट प्लांट इस जिले में है बावजूद इसके करोड़ों के सीएसआर के बाद भी जिला वास्तविक विकास से कोसों दूर है, इसका मुख्य कारण बड़े नेताओं की अनदेखी और साथ ही इन्ही नेताओं द्वारा अपने ही लोगों को प्लांट मे ठेकेदार बनाना है।
जिले के सावा शंभूपुरा स्थित आदित्य सीमेंट प्लांट जिसको लेकर आसपास के एक दर्जन से भी अधिक गांवो में सीएसआर का फायदा नहीं मिलने से गाँवो मे आवश्यक विकास नहीं हो पा रहे, जिससे ग्रामीणों में फैक्ट्री प्रबंधन के प्रति खासा रोष देखने को मिल रहा।
ग्रामीणों ने बताया कि यहां करोड़ का सीएसआर फंड प्रतिवर्ष निकलता है जो कि आसपास के गांव में आवश्यक विकास हेतु लगाना होता है लेकिन यह पैसा यहां लगने के बजाय जिले के बड़े नेता इस फंड को बाहर ले जाते हैं जिससे आसपास के गांव में मूल सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही इसको लेकर कई बार ग्रामीणों ने मांग उठाई लेकिन जिले के बड़े नेता अपने कानों में रुई डाले बैठे हैं।
आदित्य सीमेंट प्लांट के निकटवर्ती गांव अमरपुरा, अमराना, शम्भूपुरा, सावा, केसरपुरा, पाटनीया, फलासिया, चिकसी, बामनिया, सिंधवरी, बनेष्टि, रघुनाथपुरा आदि गांवों को आदित्य सीएसआर का फंड नहीं मिलने का ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अब आदित्य सीमेंट के खिलाफ आवाज मजबूत करते हुए एकजुट होने एवं हमारे गाँवो के विकास का सीएसआर फंड यही लगवाने की मांग तेज हुई है।
स्थानीय को रोजगार नहीं, बार बार उठती रही यह मांग
कुछ ठेकेदारों पर मेहरबान आदित्य सीमेंट
अल्ट्राटेक आदित्य सीमेंट प्लांट प्रबंधन पर एक बार नहीं बल्कि कहीं बार इस तरह के आरोप लगते आए हैं कि यहाँ का प्रबंधन कुछ स्थानीय नेता है उन्ही पर मेहरबान रहता है जिनसे ही छोटे हो या बड़े सभी कार्य करवाए जाते आ रहे हैं, इसलिए सीएसआर फंड से भ्रष्टाचार की बात से इनकार नहीं किया जा सकता, ग्रामीणों ने पिछले कुछ सालो मे सीएसआर से हुए टेंडर और कार्यों की जांच कमेटी बनवा प्रशासन से करवाने की मांग की है।
श्रमिक/ कर्मचारी की मौत पर मुआवजा में भेदभाव
ग्रामीणों ने बताया कि आए दिन प्लांट में काम करने वाले श्रमिक या कर्मचारी की मौत पर मुआवजे को लेकर प्लांट के बाहर और अंदर कशमकश जारी रहती हैं कुछ स्थानीय नेता अपने खास लोगों को मुआवजे के रूप में मोटी रकम दिलवा देते हैं जिसमें कुछ हिस्सा उनका भी रहने की बात भी सामने आई वहीं दूसरी और गरीब और बिना राजनीतिक पहुंच वाले लोगों की सुनवाई नहीं होने की भी बाद ग्रामीणों ने कहीं और ऐसे लोगों को बहुत कम मुआवजा देकर मामले को दबा दिया जाता है।
घरों में दरारें लेकिन देखने वाला कोई नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि आदित्य सीमेंट के आसपास के कई गांवो के घरों में दरारें आ गई है कहीं घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं जिसका मुख्य कारण आदित्य सीमेंट द्वारा करवाई जाने वाली हेवी ब्लास्टिंग है बावजूद इसके ना किसी ग्रामीण को मुआवजा दिया जाता ना कोई सुनवाई हुई।
किसानों की फसले चौपट लेकिन ध्यान किसी का नहीं जाता
ग्रामीणों ने बताया कि आदित्य सीमेंट से उड़ने वाली धूल मिट्टी की वजह से हर साल कई किसानो की फसले चौपट होने लगी है जिसकी कहीं बाहर आदित्य प्रबंधन एवं प्रशासन से किसानों ने उचित मुआवजे की भी मांग की लेकिन ना कभी ग्रामीणों को इसका मुआवजा मिला और ना ही इसका कोई प्रशासन ने विकल्प निकाला जिसके कारण किसान वर्ग में भी खासा रोष है।
आदित्य सीमेंट प्लांट शंभूपुरा के आसपास के गांवो के कहीं ग्रामीणों ने खास बातचीत में यह बताया कि आदित्य सीमेंट प्रदूषण जांच हो या जनसुनवाई इसकी सभी को जानकारी देने के बजाय अपने स्तर पर चुपके चुपके करवा लेती है जिसकी क्षेत्र मे लोगों को जानकारी नहीं होती है। ग्रामीणों का कहना है कि इन सब महत्वपूर्ण समस्याओं पर आदित्य प्रबंधन और जिला प्रशासन ध्यान नहीं देता है तो अब जल्द बड़ा आंदोलन किया जाएगा जिसका जिम्मेदार आदित्य प्रबंधन एवं जिला प्रशासन होगा।
