आंवले के पेड़ का पूजन कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति की

महिलाओं ने सामूहिक पुजा कर लिया लाभ

विशाल बाबा नामदेव

बाग:- कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आंवला नवमी के पावन पर्व पर बाग नगर में बड़ी संख्या में महिलाओं ने विभिन्न स्थानों पर आंवले के पेड़ का विधि विधान से पूजन कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति की। नगर में जिन जिन स्थानों पर आंवले के पेड़ है वहां पूजन करने हेतु बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति देखी गई। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार मास के शयन के दौरान आंवला नवमी को करवट बदलते है एवं देव प्रबोधिनी एकादशी को योग निद्रा से जागते हैं। नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते है। इस अक्षय नवमी का वही महत्व है जो वैसाख मास की अक्षय तृतीया का महत्व है। नगर के ज्योतिषाचार्य पं दिनेश जी उपाध्याय ने चर्चा मे बताया कि शास्त्रों में आंवला नवमी के दिन किए गए पुण्य कार्य कभी खत्म नहीं होते हैं। मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। यह भी कहा जाता है कि आवलें के पेड़ के नीचे भोजन करने से व्यक्ति निरोग रहता है। आंवले का फल स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए आंवले का पेड़ भी पीपल की भांति पूजनीय है।

अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है

पूजन कर रही महिला सरोज मानधन्या ने बताया कि मान्यता है कि आंवला नवमी पर्व पर किए गए सभी शुभ कार्यों का कभी भी क्षय नहीं होता। इस दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा को ओर प्रस्थान किया था। इसी वजह से आज के दिन वृंदावन परिक्रमा प्रारंभ की जाती है।
उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में आंवले का पेड़ और फल दोनों पूजनीय है। आज के दिन आंवले के पेड़ के पूजन से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। इसे अक्षय नवमी भी कहते है ।

रोपा गया पौधा पेड़ बना, खुशी प्रकट की

साईं सिटी कॉलोनी बाग की फुलकुंवर यादव ने खुद के लगाए गए आंवले के पौधे को वृक्ष के रूप में पूजित होते देख कर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि 12 साल पहले मेरा परिवार कॉलोनी में निवास करने आया था। तब यहां बगीचे में मैंने आंवले का पेड़ लगाया था, जो आज वृक्ष बन गया है। आज महिलाओं से इसकी पूजा होते और परिक्रमा करते देख मुझे बहुत खुशी हुई।

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Author: jtvbharat