सत्य प्रेम और करुणा से ओतप्रोत गोपाल गौशाला नानपुर में प्रवाहित श्रीमद् भागवत कथा का ऐतिहासिक समापन

मुकेश राठौड़
नानपुर:-गावो विश्वस्य मातर: वेद की उक्ति को चरितार्थ करते हुए दिनांक 6 नवंबर से 12 नवंबर 2024 तक गोपाल गौशाला नानपुर में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा की भागीरथी भागवत आचार्य विनोद जी शर्मा रतलाम भदवासा वाले द्वारा प्रवाहित की गई कथा के मुख्य जजमान बनने का संजोग धनराज रामजी राठौड़ कोदया परिवार चारभुजा धाम बड़ी खट्टाली को प्राप्त हुआ उक्त कथा का लाभ गो मैया एवं गौशाला से जुड़े गो सेवको के साथ ही आसपास से पधारे अनेक ग्रामीण जनों के अतिरिक्त यजमान परिवार के रिश्तेदारो द्वारा श्रवण कर पुण्य लिया
प्रथम दिवस श्रीमद् भागवत शोभायात्रा स्थानीय महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होकर नगर भ्रमण उपरांत चारभुजा धाम बड़ी खट्टाली के श्री चारभुजा नाथ मंदिर प्रांगण में पहुंच प्रभु दर्शन उपरांत शोभा यात्रा कथा स्थल गोपाल गौशाला नानपुर की ओर प्रस्थान हुई
ज्ञात होने की कथा के चतुर्थ दिवस कृष्ण जन्म का प्रसंग होने के साथ ही गोपाष्टमी का अद्भुत उत्सव का संजोग भक्तों को गो एवं गोविंद के प्रति समर्पित होने की महिमा सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए जिससे उन्हें अलौकिक आनंद का अनुभव होने लगा कथा के अगले पंचम दिवस आंवला नवमी का भी परम पवित्र पर्व का संजोग उपस्थित हुआ कथा स्थल पर ही आंवले के वृक्ष की पूजा एवं परिक्रमा हेतु विशाल संख्या में मातृशक्ति माताएं बहने पधारी पूजन अर्चन उपरांत कथा श्रवण अंतर्गत आंवला नवमी के महत्व एवं उक्त तिथि को मंत्र जाप ध्यान की महिमा सुनकर उपस्थित भक्तों की मंद पड़ी लो और तीव्र होने लगी जिसके प्रभाव से अपने आप को भक्ति रस में डूब कर नृत्य करने को मजबूर हो उठी
इसी प्रकार कथा सुरसरि प्रवाहित होती हुई अंतिम दिवस में श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र के मार्मिक प्रसंग के साथ ही देवउठनी एकादशी का अद्भुत संजोग भक्तों के मध्य उपस्थित हुआ जिसका सभी भक्तों द्वारा नाच गाकर भगवान के गुणानुवाद सुनते हुए आनंद लिया गया तत्पश्चात महाआरती एवं महाप्रसादी का वितरण कर उक्त सप्त दिवसीय कथा का ऐतिहासिक एवं अविस्मरणीय समापन उपस्थिति गो भक्तों कथा रसीको एवं मुख्य जजमान द्वारा आचार्य श्री पूजन वंदन कर शाल श्रीफल से व्यास पीठ पर सम्मान किया गया आभार स्थानीय श्रीमद् भागवत कथा समिति द्वारा व्यक्त किया गया

jtvbharat
Author: jtvbharat