मार्च या अप्रैल में तबादलों पर से रोक हटने की उम्मीद
झाबुआ/भोपाल। संजय जैन-स्टेट हेड। परिवहन विभाग का भारी भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद सरकार ने परिवहन आयुक्त डीपी गप्ता को हटा दिया था। अब सरकार प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी में जुट गई है। इसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव,मुख्य सचिव अनुराग जैन और पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा के बीच चर्चा हो चुकी है। सीएम ने दोनों आला अफसरों के साथ तय किया कि तीन साल से अधिक एक स्थान पर जमे मैदानी अफसरों को बदला जाएगा। प्रदेश में पिछले दो साल से ट्रांसफर पर बैन लगा हुआ है,ऐसे में बहुत से सरकारी अधिकारी और कर्मचारी लंबे समय से ट्रांसफर पर से बैन हटने के इंतजार में हैं। ऐसे में ये खबर उनके लिए बेहद जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक अब मार्च या अप्रैल में ही तबादलों पर से रोक हटने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि सीएम मोहन यादव ने अनौपचारिक कैबिनेट में मंत्रियों से ये बात कही है।
प्रभारी मंत्री को प्रभार वाले जिले में ट्रांसफर का पूरा अधिकार
मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होने के बाद कलेक्टर,संयुक्त कलेक्टर, एसडीएम,तहसीलदार सहित 65 हजार कर्मचारियों के तबादले पर लगा प्रतिबंध हटने की उम्मीद है। तीन साल से अधिक समय तक एक जिले में रहने के बाद दोबारा उसी जिले में पदस्थापना नहीं की जाएगी। इसके दायरे में आईएएस,आईपीएसए,आईएफएस अफसरों के साथ सभी विभागों के अधिकारी इसके दायरे में आएंगे। राजस्व,पुलिस,ईओडब्ल्यू,लोकायुक्त,खाद्य एवं औषधि प्रशासन और परिवहन सहित अन्य विभागों में तीन साल से जमे सभी अफसरों की कुंडली तैयार की जा रही है। सीमित समय और संख्या में ही इस दौरान ट्रांसफर होने की बात भी सामने आई है। ट्रांसफर करने के अधिकारों की बात की जाए तो प्रभारी मंत्री को प्रभार वाले जिले में ट्रांसफर का पूरा अधिकार होगा।
सूची लगभग अंतिम दौर में
प्रदेश में अभी कुछ दिन पहले हुए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर के बाद एक बार फिर अधिकारियों के ट्रांसफर होने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि राजस्व अमले में तहसीलदार से लेकर डिप्टी कलेक्टर और अपर कलेक्टर रैंक के अफसरों के साथ डीएसपी, एडिशनल एसपी, आबकारी,परिवहन, ईओडब्ल्यू,लोकायुक्त,खाद्य एवं औषधि प्रशासन, लोक निर्माण विभाग के मैदानी अफसर तीन साल से ज्यादा समय से जमे हैं। ऐसे अफसरों की सूची तैयार हो रही है,यह सूची काफी बड़ी है। सूत्र बताते हैं कि सूची लगभग अंतिम दौर में है,जल्द ही तबादलों की सूची जारी की जा सकती है।
महानगरों का मोह भी अब अफसरों को पड़ेगा भारी
बताया जा रहा है कि अफसरों का महानगरों में रहने का मोह भी अब उन्हें भारी पड़ेगा। चुनाव के समय अफसर कुछ समय के लिए इधर-उधर होते हैं और उसके बाद फिर मनचाही पोस्टिंग करा लेते हैं,अब ऐसा नहीं होगा। दरअसल एक स्थान पर बार-बार पोस्टिंग कराने वाले अफसरों की कुंडली भी तैयार की जा रही है,ऐसे अफसरों को भी हटाया जाएगा। ऐसे सैकड़ों अफसर हैं, जिन्होंने ज्यादातर नौकरी भोपाल,इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े महानगरों के अलावा सिंगरौली, मंदसौर, नीमच, छतरपुर,अनूपपुर,धार और कटनी में की है।
कोषालय,परिवहन,पीआईयू,,पंजीयन,खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में सालों से जमे हैं जुगाड़ के दम पर अफसर………….
कोषालय,परिवहन,पीआईयू,,पंजीयन,खाद्य एवं औषधि विभाग में भी कई जिले ऐसे हैं,जहां अधिकारी लंबे समय से काम कर रहे हैं। इनमें कुछ अफसरों को तो आठ से दस साल का समय बीत चुका है,बावजूद इसके उन्हें हटाने की कार्रवाई कभी नहीं हुइ र्हैं। कुछ अफसर तो जुगाड़ के दम पर मुख्यालय में ही सालों से जमे हुए हैं। आबकारी विभाग में कई अफसरों की विभागीय जांच चल रही है,बावजूद इसके उन्हें मैदानी पदस्थापना दी गई है। ऐसे अफसरों की सूची तैयार की जा रही है,जांच चलने तक सभी अफसरों को फील्ड से हटाया जाएगा। मुकेश नेमा के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है,फिर भी वे डीसी इंदौर के पद पर पदस्थ है। पीआईयू, कोषालय,पंजीयन,खाद्य,पंजीयन,खनिज,उद्यानिकी,पशुपालन,नापतौल,नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अलावा पॉलीटेक्निक कॉलेज और महाविद्यालयमें भी तकरीबन यही स्थिति है,यहां पर सालों से अफसर जमे हुए हैं। इनमें कुछ जिलों में तो अफसरों को चार से पांच साल का समय बीत चुका है। चुनाव के दौरान उन्हें हटाने की तैयारी की गई थी,लेकिन जुगाड़ के दम पर सभी अफसर बचने में सफल हो गए थे। अब इन पर भी तबादले की गाज गिराने की तैयारी है।
क्यों लगी है ट्रांसफर पर रोक…?
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नई तबादला नीति तैयार है,बस मुख्यमंत्री की मुहर लगना बाकी है। हालांकि तबादलों पर लगी रोक फिलहाल जारी रहेगी और मार्च-अप्रैल तक ही इस पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव का मानना है कि साल के बीच में तबादले करने से शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ेगा और इससे अव्यवस्था फैलेगी। टीचर्स के तबादलों से स्कूलों में पढ़ाई बड़े स्तर पर प्रभावित होगी,स्कूलों में आधा कोर्स पूरा हो चुका है और फरवरी माह में वार्षिक परीक्षा होती है,ऐसे में तबादलों से परीक्षाओं पर असर पड़ेगा,उधर अन्य कर्मचारियों के तबादलों से भी उनके बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा।
बॉक्स खबर
झाबुआ में भरमार है सालों से जमे हुए अधिकारियों और कर्मचारियों की
यदि झाबुआ जिले के मुख्यालय की बात करे तो कोषालय अधिकारी ममता चंगोड़ 10 वर्षो से अधिक और पीआईयू अधिकारी ऐएस भिड़े,परिवहन विभाग अधिकारी कृतिका मोहटा,पॉलीटेक्निक कॉलेज प्राचार्य गिरीश गुप्ता, शा.चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय (पीजी कॉलेज) के प्राचार्य जेसी सिन्हा, रविन्द्र सिंह, खाद्य आपूर्ति निगम अधिकारी विवेक रंगरारी,खाद्य विभाग अधिकारी संजय पाटील,खाद्य सुरक्षा अधिकारी राहुल अलावा,महिला बाल विकास अधिकारी आरएस बघेल,पंजीयन विभाग के सब-रजिस्ट्रार प्रताप कनेश के अलावा पुलिस,राजस्व और शिक्षा विभाग में कई अधिकारी और कर्मचारी लगभग 3-4 वर्षों से कुंडली मार कर जमे हुए है। ऐसा प्रतीत होता है कि झाबुआ जैसी,जमे हुए की भरमार शायद ही किसी अन्य समानांतर जिले में देखने को मिल सकती है।