शहर की सीमाएं बढ़ गई। वार्डों की संख्या बढ़ गई, लेकिन नए बस स्टैंड की सौगात शहर को नहीं मिल पा रही थी। इन वर्षों में अस्थाई बस स्टैंड तो काफी बने, लेकिन सुविधायुक्त बस स्टैंडों की सौगात इस साल शहरवासियों को मिलेगी।
शहर का पहला सरवटे बस स्टैंड 50 साल पहले बना था, लेकिन उसके बाद आधुनिक बस स्टैंड की मांग हमेशा शहर में बनी रही। अब शहर में दो नए बस स्टैंड अाकार ले रहे है। नायता मुंडला का बस स्टैंड लगभग बनकर तैयार हो चुका है। पिछले दिनों स्टैंड की एप्रोच रोड के आसपास के अतिक्रमण भी हटा दिए गए। इसके अलावा एमआर-10 पर आईएसबीटी का काम भी 65 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। अगले पांच माह में उसका काम भी पूरा हो जाएगा। यह बस स्टैंड मेट्रो स्टेशन से भी जुड़ेगा।
500 बसों का होगा संचालन
नायता मुंडल बस स्टैंड को 500 बसों के हिसाब से डिजाइन किया गया है। महाराष्ट्र की तरफ से आने वाली बसें इस स्टैंड पर यात्रियों को छोडेगी और ले जाएगी। इसके निर्माण पर दस करोड़ रुपये खर्च किए गए है। यह बस स्टैंड तीन माह बाद शुरू हो जाएगा। मुबंई, नागपुर,भुसावल रुट की बसों का संचालन यहां से हो सकेगा।
प्रदेश का सबसे बड़ा बस स्टैंड एमआर-10 पर
इंदौर विकास प्राधिकरण प्रदेश का सबसे बड़ा बस स्टैंड एमआर-10 ब्रिज के पास बना रहा है। यहां से 1500 बसों का संचालन होगा और 500 बसों की पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश की तरफ से आने वाली बसों के यात्री यहां उतर सकेंगे। यहां फुड जोन, क्लॉक रुम, रेस्ट रुम, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं मिलेगी। आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने बताया कि बस स्टैंड का 65 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। छह माह बाद स्टैंड का लोकार्पण होगा। यह बस स्टैंड मेट्रो के स्टेशन से भी जुड़ा रहेगा।
1973 में बना था सरवटे बस स्टैंड
इंदौर का पहला बस स्टैंड 5 मई 1973 को बना था। चार एकड़ क्षेत्रफल में तब इसके निर्माण पर 18 लाख रुपये खर्च हुए थे। इसका निर्माण रेशमवाला कपाउंड क्षेत्र में हुआ था। इस बस स्टैंड का नाम तात्या सरवटे के नाम पर रखा गया था। शहर के पश्चिमी क्षेत्र में 1989 को गंगवाल बस स्टैंड की शुरुआत हुई थी।