मध्‍य प्रदेश सात साल बाद बढ़ाया जा सकता है विधायकों का वेतन-भत्ते

विधायकों का स्वेच्छानुदान 25 लाख रुपये बढ़ाने के बाद अब वेतन-भत्ते में भी सात साल बाद वृद्धि की जा सकती है। भाजपा और कांग्रेस के विधायकों ने कई बार इसकी मांग कर चुके हैं। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गाैतम ने भाजपा के वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला की अध्यक्षता में समिति भी बनाई गई है, जिसकी प्रारंभिक बैठक भी हो चुकी है। जिस तरह मुख्यमंत्री ने स्वेच्छानुदान में वृद्धि की घोषणा सदन में की थी, वैसे ही वेतन-भत्ते ने वृद्धि की घोषणा एक-दो दिन में की जा सकती है।
प्रदेश में अभी विधायकों को एक लाख 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन-भत्ता मिलता है। इसमें वृद्धि के लिए विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें इसमें अंतिम निर्णय होगा।
सूत्रों का कहना है कि समिति ने भले ही अभी सरकार से कोई अनुशंसा न की हो पर मुख्यमंत्री कार्यालय वेतन-भत्ते में वृद्धि की तैयारी कर रहा है। इसके लिए अन्य राज्यों में मिल रहे वेतन-भत्ते की जानकारी बुलवाई जा चुकी है। विधायकों के वेतन-भत्ते में वृद्धि के साथ भूतपूर्व विधायकों की पेंशन सहित अन्य सुविधाओं में भी वृद्धि प्रस्तावित है।
विधानसभा अध्यक्ष इसके लिए प्रयासरत हैं। कुछ कदम तो विधानसभा सचिवालय द्वारा उठाए जाने हैं, जिसको लेकर सहमति बन चुकी है। पेंशन में वृद्धि का निर्णय शासन को करना है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों को छत्तीसगढ़ की तरह पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधा दिया जाना प्रस्तावित हैं।
इसके लिए अक्टूबर 2021 से कवायद चल रही है। विधानसभा ने सामान्य प्रशासन विभाग को अन्य राज्यों में दी जाने वाली सुविधाओं का अध्ययन करने के निर्देश दिए थे। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को ही लेना है। यदि यह निर्णय होता है तो फिर पूर्व अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री की तरह सुविधाएं मिलने लगेगी।

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Author: jtvbharat