विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे पास आते जा आ रहे हैं, वैसे-वैसे कांग्रेस में अंतर्कलह बढ़ती जा रही है। कभी वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के बीच मतभेद सामने आते हैं, तो कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और नाथ के बीच दूरियां दिखाई देती हैं।
वे मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर प्रश्न उठाते हैं तो कांग्रेस की कार्यकारिणी के गठन के बाद कार्यकारी अध्यक्षों को लेकर बात उठती है। जीतू पटवारी जहां अभी भी कार्यकारी अध्यक्ष पद नाम का उपयोग कर रहे हैं। जबकि, नई कार्यकारिणी में इसका उल्लेख नहीं है।
उधर, पटवारी को विधानसभा के बजट सत्र से निलंबित करने के बाद अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव तो दिया गया पर जिस तरह आक्रामक होकर पार्टी को दबाव बनाना था, वह नहीं बनाया गया। इससे भाजपा को कांग्रेस को घेरने का मौका तो ही मिला ही, यह संदेश भी गया कि तमाम दावाें के बाद भी पार्टी में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए अभियान चलाया। इस पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने ही यह कहते हुए सवाल उठा दिया कि पार्टी में मुख्यमंत्री को चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है।
चुनाव के बाद विधायक दल प्रस्ताव पारित करता है और केंद्रीय नेतृत्व अंतिम निर्णय लेता है। भाजपा ने इसे अंतर्कलह से जोड़ते हुए सवाल खड़े किए और अंतत: पार्टी ने कमल नाथ को भावी मुख्यमंत्री बताना बंद कर दिया।
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष हैं और स्वभाविक तौर पर हमारे नेता हैं। उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा लेकिन यादव अब भी दोहरा रहे हैं कि अपनी बात पर कायम हैं। उधर, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा घोषित प्रदेश इकाई की नई कार्यकारिणी में कार्यकारी अध्यक्ष की व्यवस्था नहीं रखे गए। जबकि, जीतू पटवारी अभी भी इस पद नाम का उपयोग कर रहे हैं।
इसको लेकर सवाल भी उठे तो उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति केंद्रीय सगंठन ने की थी और अभी तक पद समाप्त करने या हटाए जाने की कोई सूचना नहीं है। प्रदेश इकाई को भी कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं, इसलिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
जिला अध्यक्षों को लेकर विरोध हुआ तो इंदौर और खंडवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी। इसे भी अंतर्कलह से जोड़कर देखा गया। हाल ही में महू में आदिवासी युवक की पुलिस की गाेली लगने से मृत्यु पर जब कमल नाथ स्वजन से मिलने पहुंचे तो जीतू पटवारी नदारद रहे।
इसको लेकर भी प्रश्न उठे। हालांकि, पटवारी को कहना है कि पार्टी में कोई अंतर्कलह या विवाद नहीं है। मैं पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं और हम सब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के नेतृत्व में चुनाव की तैयारी में जुटे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने भी कहा कि अंतर्कलह की कहीं कोई बात नहीं है। पटवारी का निलंबन अलोकतांत्रिक है। पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है और एकमत होकर विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव संकल्प दिया है। पार्टी में सबको अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई हैं और सभी अपने काम में लगे हैं।